
भारी बारिश और बाढ़-तूफ़ान जैसी प्राकृतिक आपदाएँ किसानों को बहुत नुकसान पहुँचा सकती हैं। ये परिस्थितियाँ उनकी फसलों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, यानी वे पौधे जिन्हें वे पैसे कमाने के लिए उगाते हैं। किसानों की मदद के लिए, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) नामक एक विशेष योजना है जो उन्हें उनकी फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए पैसा दे सकती है। लेकिन कभी-कभी, किसानों को यह पैसा इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि वे इसे माँगते समय छोटी-छोटी गलतियाँ कर देते हैं।
👉 फसल बीमा क्लेम करते समय किसान कौन-कौन सी गलतियां न करें?
👉 किस प्रकार की फसल क्षति बीमा के तहत कवर होती है, तथा कौन-सी क्षति का क्लेम नहीं मिल पाता?
👉 क्लेम के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?
👉 फसल बीमा क्लेम प्रक्रिया क्या है और किन सरकारी विभागों से संपर्क करना चाहिए?
👉 अगर क्लेम रिजेक्ट हो जाए तो क्या समाधान हैं?
👉 क्लेम के समय विशेष सतर्कता बरतने के लिए टिप्स
👉 फसल खराब होने पर बीमा क्लेम कैसे करें?
👉 प्राकृतिक आपदा (जैसे भारी बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि) से नुकसान होने पर क्या करना चाहिए?
👉 किसान अक्सर कौन-सी गलतियां करते हैं जिनकी वजह से क्लेम रिजेक्ट हो जाता है?
👉 उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों के लिए कौन-सी प्रमुख फसल बीमा योजनाएं उपलब्ध हैं?
👉 क्लेम रिजेक्ट होने पर किसान के पास क्या विकल्प हैं?
👉 बारिश से बर्बाद हुई फसल तो कैसे करें मुआवजे के लिए आवेदन?
फसल बीमा क्लेम प्रक्रिया में होने वाली तीन मुख्य गलतियों के बारे में जानकारी रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर सही कार्रवाई करके आप अपना उचित मुआवजा प्राप्त कर सकें। आइए विस्तार से जानते हैं कि वे कौन सी गलतियां हैं जिनसे बचना जरूरी है।

इस वर्ष, भारत में भारी बारिश और बाढ़ ने बहुत सारी फसलों को नुकसान पहुंचाया है, जो कि किसान भोजन बनाने के लिए उगाते हैं। मौसम रिपोर्ट के अनुसार, 1,58,651 हेक्टेयर (जो एक बड़ा क्षेत्र है) से अधिक कृषि भूमि ओलावृष्टि, भारी बारिश और बाढ़ जैसी चीजों से प्रभावित हुई है। महाराष्ट्र राज्य में, 29 जिलों में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि क्षतिग्रस्त हो गई है, विशेष रूप से नांदेड़, वाशिम, धरसिव, यवतमाल, बुलढाणा और सोलापुर नामक स्थानों में। हरियाणा राज्य में, 12 जिलों के 1,402 गांवों के कई खेत भी भारी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। किसानों की मदद के लिए, सरकार ने एक ऑनलाइन प्रणाली शुरू की है जहाँ वे कुछ पैसे प्राप्त कर सकते हैं। बिहार में, सरकार ने घोषणा की कि जिन किसानों ने अपनी फसल खो दी है,
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच है, जिसे 2016 में शुरू किया गया था। इस योजना में किसानों को बहुत कम प्रीमियम पर फसल बीमा मिलता है:
बाकी प्रीमियम का खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाती हैं। हाल ही में रबी 2024-25 के लिए 35 लाख से ज्यादा किसानों को 3,900 करोड़ रुपए का बीमा क्लेम सीधे उनके बैंक खातों में डीजी क्लेम प्लेटफॉर्म और DBT के जरिए भेजा गया है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2023 में डीजी क्लेम प्लेटफॉर्म शुरू किया है, जिससे किसानों को फसल बीमा का पैसा जल्दी, आसानी से और बिना झंझट मिल सके। यह प्लेटफॉर्म PFMS (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) और NCIP (नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस पोर्टल) को जोड़कर बनाया गया है।
डीजी क्लेम के फायदे:
किसान अक्सर सबसे बड़ी गलती यही करते हैं कि फसल खराब होने के बाद समय पर बीमा कंपनी को सूचना नहीं देते।
👉समय सीमा:
👉कहाँ जानकारी दें:
👉जमीनी हकीकत:
आपदा आने पर गाँवों में इंटरनेट, फोन और सड़क का संपर्क टूट जाता है। ऐसे में 72 घंटे के अंदर रिपोर्ट करना किसानों के लिए मुश्किल होता है। लेकिन नियम सख्त है, इसलिए समय पर सूचना देना जरूरी है।

फसल बीमा क्लेम में किसानों से अक्सर दूसरी सबसे बड़ी गलती होती है अधूरे या गलत दस्तावेज जमा करना। कई बार जल्दबाज़ी में फॉर्म भरते समय नाम, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड नंबर जैसी व्यक्तिगत जानकारी गलत लिख दी जाती है। फसल से जुड़ी जानकारी जैसे खरीफ या रबी सीजन का सही ज़िक्र, बुवाई का क्षेत्रफल और नुकसान की सही मात्रा भी अधूरी रह जाती है। इसी तरह बैंक से जुड़ी जानकारी—खाता नंबर, IFSC कोड और खाताधारक का नाम—सही न भरने पर दिक्कत आती है। आम तौर पर नाम की स्पेलिंग, हस्ताक्षर या तारीख छूट जाना, और गलत फसल या सीजन लिखना भी बड़ी गलतियां मानी जाती हैं।
ध्यान देने वाली बातें:
👉व्यक्तिगत जानकारी
👉फसल से जुड़ी जानकारी
👉बैंक जानकारी
👉आम गलतियां
तीसरी बड़ी गलती यह है कि किसान बीमा क्लेम करते समय जरूरी कागजात पूरा नहीं लगाते।
क्लेम के लिए जरूरी दस्तावेज:
👉 जरूरी दस्तावेज
👉 किरायेदार किसानों के लिए अतिरिक्त कागजात
👉 ध्यान रखने योग्य बातें

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों के आवेदन रिजेक्ट होने के पीछे मुख्य रूप से दो तरह की समस्याएँ सामने आई हैं— तकनीकी कारण और भूमि से जुड़ी दिक्कतें।
👉 तकनीकी कारणों में शामिल हैं:
👉 भूमि संबंधी दिक्कतें:
आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र में खरीफ 2024 सीजन के दौरान 4,30,443 आवेदन रिजेक्ट हुए, जबकि पिछले साल यह संख्या 2,85,468 थी। यानी इस बार रिजेक्शन के मामलों में बड़ा इज़ाफ़ा देखने को मिला है। वहीं हरियाणा के हिसार जिले में भी हालात बेहतर नहीं रहे। यहाँ करीब 29,000 किसानों के आवेदन केवल तकनीकी कारणों से खारिज कर दिए गए। यह स्थिति साफ करती है कि बीमा क्लेम रिजेक्शन का सबसे बड़ा कारण अभी भी कागजी और तकनीकी खामियाँ ही हैं, जिनसे किसान सीधे प्रभावित हो रहे हैं।

👉 जब फसल खराब होती है, तो उसकी जानकारी मिलने के 48 घंटे के अंदर एक सर्वेयर नियुक्त किया जाता है।
👉 सर्वेयर 72 घंटे के भीतर नुकसान का आकलन कर लेता है।
👉 यह सर्वे राज्य सरकार और बीमा कंपनी मिलकर करती हैं।
👉 सर्वे से जुड़ा डेटा NCIP पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
मुआवजा कैसे तय होता है?
थ्रेशहोल्ड उपज का मतलब है – पिछले 7 सालों में से सबसे अच्छे 5 सालों की औसत उपज।
मुआवजा उपज में आई कमी पर आधारित होता है।
इसका फॉर्मूला है:
(थ्रेशहोल्ड उपज – वास्तविक उपज) ÷ थ्रेशहोल्ड उपज × बीमित राशि

भारत में किसानों की सुरक्षा और उनकी आय को स्थिर करने के लिए सरकार लगातार नए कदम उठा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, पुराना फसल बीमा सिस्टम किसानों के लिए उतना कारगर नहीं था। इसी कारण इसमें कई बड़े सुधार और बदलाव किए गए हैं, ताकि किसान समय पर लाभ ले सकें।
कई राज्य सरकारों ने भी किसानों के लिए अपनी योजनाएं शुरू की हैं ताकि फसल खराब होने पर उन्हें तुरंत मदद मिल सके।
हालांकि योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन किसानों को अभी भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
केंद्र सरकार ने किसानों की मदद के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं:
उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान हाल के दिनों में मौसम की मार से परेशान हैं। तेज आंधी, अचानक हुई बारिश और बाढ़ की वजह से गेहूं, गन्ना, धान, मक्का और सब्ज़ियों की फसल को काफी नुकसान हुआ है। उदाहरण के तौर पर, बिहार के मुंगेर ज़िले में बाढ़ से करीब 8,768 एकड़ जमीन पर खड़ी फसल पूरी तरह नष्ट हो गई।
ऐसे हालात में किसानों को सबसे ज्यादा सहारा मिलता है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) से। यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं—जैसे भारी बारिश, बाढ़, जलभराव या ओलावृष्टि से फसल खराब होने पर मुआवजा देती है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति स्थिर बनी रहे।
भारत में पिछले कुछ सालों से असामान्य बारिश और बाढ़ ने कई राज्यों की खेती को नुकसान पहुंचाया है।
मॉनसून के दौरान बादल फटना, जलभराव और बाढ़ की घटनाएँ अब आम हो चुकी हैं। ऐसे में किसानों के लिए फसल बीमा ही एक बड़ा सहारा बनता है।

फसल बीमा कई सार्वजनिक और निजी कंपनियों के जरिए उपलब्ध है। इनमें शामिल हैं:
ये सभी कंपनियाँ राज्य और केंद्र सरकार के साथ मिलकर किसानों को बीमा का फायदा पहुंचाती हैं।
👉 किसान भाइयों, प्राकृतिक आपदा के समय फसल बीमा ही आपकी सबसे बड़ी ढाल है। लेकिन क्लेम करते समय कुछ आम गलतियाँ न करें, वरना मुआवजे में दिक्कत हो सकती है।
किसानों के लिए फसल बीमा योजना (PMFBY) एक बड़ी राहत है, क्योंकि प्राकृतिक आपदा से हुई फसल क्षति का मुआवजा इसी से मिलता है। लेकिन अक्सर छोटी-छोटी गलतियों की वजह से किसान अपना बीमा क्लेम खो देते हैं। आइए जानते हैं वे 3 आम गलतियाँ और उनसे बचने के उपाय।
अगर आपकी फसल को बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि या किसी भी प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ है, तो 72 घंटे (3 दिन) के भीतर बीमा कंपनी को इसकी सूचना देना जरूरी है।
क्लेम फॉर्म भरते समय कई किसान फसल का नाम, सीजन (खरीफ/रबी), बैंक खाता नंबर, IFSC कोड, मोबाइल नंबर आदि गलत भर देते हैं। इससे बीमा क्लेम अटक सकता है।
क्लेम करते समय यदि जरूरी कागजात पूरे नहीं लगाए गए तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

प्राकृतिक आपदा से नुकसान होते ही 72 घंटे में जानकारी देना अनिवार्य है। तभी सर्वे टीम मौके पर आकर नुकसान का आकलन कर सकती है।
अगर किसान ने कटाई के बाद फसल को खेत में सुखाने के लिए छोड़ा है और उस दौरान नुकसान हो गया, तो वह भी क्लेम कर सकता है। शर्त यह है कि सूचना 72 घंटे के भीतर दी गई हो। ऐसे मामलों में किसान को कटाई के 14 दिनों तक क्लेम करने की अनुमति है।
बीमा कंपनी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नुकसान का आकलन करती है। अगर नुकसान 33% से अधिक है, तो तय मानकों के हिसाब से मुआवजा किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिया जाता है।
इसमें केंद्र और राज्य सरकार भी प्रीमियम का हिस्सा देती हैं, जिससे किसानों को कम खर्च में ज्यादा सुरक्षा मिलती है।
फसल बीमा किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है, लेकिन इसका पूरा लाभ उठाने के लिए सही जानकारी और सतर्कता की आवश्यकता है। तीन मुख्य गलतियों – समय पर रिपोर्ट न करना, गलत जानकारी देना, और अधूरे दस्तावेज जमा करना से बचकर किसान अपना उचित मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।
डीजी क्लेम प्लेटफॉर्म के आने से प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी हुई है, लेकिन किसानों को अपनी जिम्मेदारी भी समझनी होगी। हाल की बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान के लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही मुआवजा योजनाओं का भी पूरा लाभ उठाना चाहिए।
भविष्य में फसल बीमा व्यवस्था को और भी किसान हितैषी बनाने की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में उपलब्ध सुविधाओं का सदुपयोग करके किसान अपनी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। समय पर जानकारी, सही दस्तावेज, और नियमों का पालन – यही सफल फसल बीमा क्लेम की चाबी है।
याद रखें, प्राकृतिक आपदा अप्रत्याशित है, लेकिन तैयारी हमारे हाथ में है। अपनी फसल का बीमा कराएं, सभी दस्तावेज तैयार रखें, और नुकसान होने पर तुरंत सही कार्रवाई करें। यही एक सफल और समृद्ध किसान बनने का रास्ता है।






