भारी बारिश से फसल खराब? फसल बीमा क्लेम के दौरान इन तीन गलतियों से रहें सतर्क!

Nivesh NestGovernment Schemes1 month ago14.1K Views

भारी बारिश से फसल खराब? फसल बीमा क्लेम के दौरान इन तीन गलतियों से रहें सतर्क!

भारी बारिश और बाढ़-तूफ़ान जैसी प्राकृतिक आपदाएँ किसानों को बहुत नुकसान पहुँचा सकती हैं। ये परिस्थितियाँ उनकी फसलों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, यानी वे पौधे जिन्हें वे पैसे कमाने के लिए उगाते हैं। किसानों की मदद के लिए, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) नामक एक विशेष योजना है जो उन्हें उनकी फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए पैसा दे सकती है। लेकिन कभी-कभी, किसानों को यह पैसा इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि वे इसे माँगते समय छोटी-छोटी गलतियाँ कर देते हैं।

इस ब्लॉग में हम मुख्य रूप से इन प्रश्नों के उत्तर भी शामिल कर रहे हैं:

👉 फसल बीमा क्लेम करते समय किसान कौन-कौन सी गलतियां न करें?

👉 किस प्रकार की फसल क्षति बीमा के तहत कवर होती है, तथा कौन-सी क्षति का क्लेम नहीं मिल पाता?

👉 क्लेम के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?

👉 फसल बीमा क्लेम प्रक्रिया क्या है और किन सरकारी विभागों से संपर्क करना चाहिए?

👉 अगर क्लेम रिजेक्ट हो जाए तो क्या समाधान हैं?

👉 क्लेम के समय विशेष सतर्कता बरतने के लिए टिप्स

👉 फसल खराब होने पर बीमा क्लेम कैसे करें?

👉 प्राकृतिक आपदा (जैसे भारी बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि) से नुकसान होने पर क्या करना चाहिए?

👉 किसान अक्सर कौन-सी गलतियां करते हैं जिनकी वजह से क्लेम रिजेक्ट हो जाता है?

👉 उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों के लिए कौन-सी प्रमुख फसल बीमा योजनाएं उपलब्ध हैं?

👉 क्लेम रिजेक्ट होने पर किसान के पास क्या विकल्प हैं?

👉 बारिश से बर्बाद हुई फसल तो कैसे करें मुआवजे के लिए आवेदन?

फसल बीमा क्लेम प्रक्रिया में होने वाली तीन मुख्य गलतियों के बारे में जानकारी रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर सही कार्रवाई करके आप अपना उचित मुआवजा प्राप्त कर सकें। आइए विस्तार से जानते हैं कि वे कौन सी गलतियां हैं जिनसे बचना जरूरी है।

फसल बीमा क्लेम
फसल बीमा क्लेम

भारी बारिश से फसलों को होने वाले नुकसान की वर्तमान स्थिति

इस वर्ष, भारत में भारी बारिश और बाढ़ ने बहुत सारी फसलों को नुकसान पहुंचाया है, जो कि किसान भोजन बनाने के लिए उगाते हैं। मौसम रिपोर्ट के अनुसार, 1,58,651 हेक्टेयर (जो एक बड़ा क्षेत्र है) से अधिक कृषि भूमि ओलावृष्टि, भारी बारिश और बाढ़ जैसी चीजों से प्रभावित हुई है। महाराष्ट्र राज्य में, 29 जिलों में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि क्षतिग्रस्त हो गई है, विशेष रूप से नांदेड़, वाशिम, धरसिव, यवतमाल, बुलढाणा और सोलापुर नामक स्थानों में। हरियाणा राज्य में, 12 जिलों के 1,402 गांवों के कई खेत भी भारी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। किसानों की मदद के लिए, सरकार ने एक ऑनलाइन प्रणाली शुरू की है जहाँ वे कुछ पैसे प्राप्त कर सकते हैं। बिहार में, सरकार ने घोषणा की कि जिन किसानों ने अपनी फसल खो दी है,

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की महत्वता

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच है, जिसे 2016 में शुरू किया गया था। इस योजना में किसानों को बहुत कम प्रीमियम पर फसल बीमा मिलता है:

  • रबी फसल पर सिर्फ 1.5% प्रीमियम
  • खरीफ फसल पर सिर्फ 2% प्रीमियम
  • वाणिज्यिक और बागवानी फसल पर 5% प्रीमियम

बाकी प्रीमियम का खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाती हैं। हाल ही में रबी 2024-25 के लिए 35 लाख से ज्यादा किसानों को 3,900 करोड़ रुपए का बीमा क्लेम सीधे उनके बैंक खातों में डीजी क्लेम प्लेटफॉर्म और DBT के जरिए भेजा गया है।

भारी बारिश और बाढ़-तूफ़ान

डीजी क्लेम: फसल बीमा की नई डिजिटल क्रांति

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2023 में डीजी क्लेम प्लेटफॉर्म शुरू किया है, जिससे किसानों को फसल बीमा का पैसा जल्दी, आसानी से और बिना झंझट मिल सके। यह प्लेटफॉर्म PFMS (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) और NCIP (नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस पोर्टल) को जोड़कर बनाया गया है।

डीजी क्लेम के फायदे:

  • क्लेम जल्दी निपटता है
  • पैसा सीधे किसान के बैंक खाते में आता है
  • किसान रियल टाइम में क्लेम की स्थिति देख सकते हैं
  • बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह खत्म हो जाती है

फसल बीमा क्लेम में होने वाली तीन मुख्य गलतियां

गलती नंबर 1: समय पर नुकसान की जानकारी न देना

किसान अक्सर सबसे बड़ी गलती यही करते हैं कि फसल खराब होने के बाद समय पर बीमा कंपनी को सूचना नहीं देते।

👉समय सीमा:

  • फसल नुकसान की जानकारी 72 घंटे के अंदर देना जरूरी है
  • देर से बताने पर क्लेम खारिज हो जाता है।

👉कहाँ जानकारी दें:

  • बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर 14447 पर
  • फार्मित्रा मोबाइल ऐप से
  • स्थानीय कृषि विभाग में
  • उस बैंक में जहाँ से लोन लिया है
  • नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस पोर्टल पर

👉जमीनी हकीकत:
आपदा आने पर गाँवों में इंटरनेट, फोन और सड़क का संपर्क टूट जाता है। ऐसे में 72 घंटे के अंदर रिपोर्ट करना किसानों के लिए मुश्किल होता है। लेकिन नियम सख्त है, इसलिए समय पर सूचना देना जरूरी है।

भारी बारिश से फसल खराब? फसल बीमा क्लेम के दौरान इन तीन गलतियों से रहें सतर्क!

गलती नंबर 2: गलत या अधूरी जानकारी देना

फसल बीमा क्लेम में किसानों से अक्सर दूसरी सबसे बड़ी गलती होती है अधूरे या गलत दस्तावेज जमा करना। कई बार जल्दबाज़ी में फॉर्म भरते समय नाम, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड नंबर जैसी व्यक्तिगत जानकारी गलत लिख दी जाती है। फसल से जुड़ी जानकारी जैसे खरीफ या रबी सीजन का सही ज़िक्र, बुवाई का क्षेत्रफल और नुकसान की सही मात्रा भी अधूरी रह जाती है। इसी तरह बैंक से जुड़ी जानकारी—खाता नंबर, IFSC कोड और खाताधारक का नाम—सही न भरने पर दिक्कत आती है। आम तौर पर नाम की स्पेलिंग, हस्ताक्षर या तारीख छूट जाना, और गलत फसल या सीजन लिखना भी बड़ी गलतियां मानी जाती हैं।

ध्यान देने वाली बातें:

👉व्यक्तिगत जानकारी

  • किसान का नाम आधार कार्ड के अनुसार सही होना चाहिए
  • मोबाइल नंबर सही लिखें
  • आधार कार्ड नंबर सही डालें

👉फसल से जुड़ी जानकारी

  • फसल का सही नाम लिखें
  • खरीफ या रबी सीजन का सही ज़िक्र करें
  • बुवाई का क्षेत्रफल सही दर्ज करें
  • नुकसान की सही मात्रा बताएं

👉बैंक जानकारी

  • सही बैंक खाता नंबर लिखें
  • IFSC कोड सही हो
  • खाताधारक का नाम सही दर्ज करें

👉आम गलतियां

  • नाम की गलत स्पेलिंग
  • हस्ताक्षर या तारीख न होना
  • बैंक खाता संख्या में गलती
  • फसल या सीजन की गलत जानकारी

गलती नंबर 3: अधूरे दस्तावेज जमा करना

तीसरी बड़ी गलती यह है कि किसान बीमा क्लेम करते समय जरूरी कागजात पूरा नहीं लगाते।

क्लेम के लिए जरूरी दस्तावेज:

👉 जरूरी दस्तावेज

  • आधार कार्ड की कॉपी
  • बैंक पासबुक की कॉपी
  • जमीन का रिकॉर्ड (खतौनी/खसरा)
  • फसल बुवाई का प्रमाण पत्र
  • फसल नुकसान की तस्वीरें

👉 किरायेदार किसानों के लिए अतिरिक्त कागजात

  • जमीन मालिक से अनुबंध/घोषणा पत्र
  • किरायेदारी का समझौता

👉 ध्यान रखने योग्य बातें

  • सभी दस्तावेज साफ और आसानी से पढ़ने योग्य हों
  • जहां मांगा जाए, वहां मूल दस्तावेज जमा करें
  • सभी कागजात पर सही तारीख और हस्ताक्षर हों
भारी बारिश और बाढ़-तूफ़ान

फसल बीमा क्लेम रिजेक्शन के अन्य कारण

फसल बीमा रिजेक्शन: तकनीकी खामियों और भूमि विवाद बने बड़ी वजह

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों के आवेदन रिजेक्ट होने के पीछे मुख्य रूप से दो तरह की समस्याएँ सामने आई हैं— तकनीकी कारण और भूमि से जुड़ी दिक्कतें

👉 तकनीकी कारणों में शामिल हैं:

  • जिस फसल या क्षेत्र को बीमा कवर ही नहीं किया गया, उसी पर दावा करना
  • किसान का PMFBY पोर्टल पर पंजीकृत न होना
  • ऐसे कारणों से नुकसान होना जो बीमा में शामिल ही नहीं हैं

👉 भूमि संबंधी दिक्कतें:

  • सरकारी या नगरपालिका की जमीन पर बीमा कराना
  • असल जमीन से ज्यादा क्षेत्र का दावा करना
  • गैर-पात्र फसलों का बीमा कराना

आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र में खरीफ 2024 सीजन के दौरान 4,30,443 आवेदन रिजेक्ट हुए, जबकि पिछले साल यह संख्या 2,85,468 थी। यानी इस बार रिजेक्शन के मामलों में बड़ा इज़ाफ़ा देखने को मिला है। वहीं हरियाणा के हिसार जिले में भी हालात बेहतर नहीं रहे। यहाँ करीब 29,000 किसानों के आवेदन केवल तकनीकी कारणों से खारिज कर दिए गए। यह स्थिति साफ करती है कि बीमा क्लेम रिजेक्शन का सबसे बड़ा कारण अभी भी कागजी और तकनीकी खामियाँ ही हैं, जिनसे किसान सीधे प्रभावित हो रहे हैं।

भारी बारिश और बाढ़-तूफ़ान

फसल नुकसान का आकलन और सर्वे प्रक्रिया

👉 जब फसल खराब होती है, तो उसकी जानकारी मिलने के 48 घंटे के अंदर एक सर्वेयर नियुक्त किया जाता है।
👉 सर्वेयर 72 घंटे के भीतर नुकसान का आकलन कर लेता है।
👉 यह सर्वे राज्य सरकार और बीमा कंपनी मिलकर करती हैं।
👉 सर्वे से जुड़ा डेटा NCIP पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।

मुआवजा कैसे तय होता है?

थ्रेशहोल्ड उपज का मतलब है – पिछले 7 सालों में से सबसे अच्छे 5 सालों की औसत उपज

मुआवजा उपज में आई कमी पर आधारित होता है।

इसका फॉर्मूला है:
(थ्रेशहोल्ड उपज – वास्तविक उपज) ÷ थ्रेशहोल्ड उपज × बीमित राशि

👉क्लेम से पहले क्या करें

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में रजिस्ट्रेशन जरूर कर लें।
  • जरूरी सभी कागजात पहले से तैयार रखें।
  • बीमा कंपनी के हेल्पलाइन नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लें।
  • “फार्मित्रा ऐप” डाउनलोड कर लें।

👉फसल का नुकसान होने पर

  • नुकसान की जानकारी 72 घंटे के अंदर जरूर दें।
  • खेत की तस्वीरें तुरंत खींच लें।
  • संबंधित दस्तावेज तैयार रखें।
  • सर्वेयर आने का इंतजार करें।

👉क्लेम की स्थिति कैसे देखें

  • PMFBY.gov.in पर लॉगिन करें।
  • “Farmer Corner” सेक्शन खोलें।
  • अपना आधार नंबर या एप्लीकेशन नंबर डालें।
  • क्लेम का रियल टाइम अपडेट देख सकते हैं।
भारी बारिश और बाढ़-तूफ़ान

नए सुधार और किसान हितैषी बदलाव: फसल बीमा और राज्यवार मुआवजा योजनाएं

भारत में किसानों की सुरक्षा और उनकी आय को स्थिर करने के लिए सरकार लगातार नए कदम उठा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, पुराना फसल बीमा सिस्टम किसानों के लिए उतना कारगर नहीं था। इसी कारण इसमें कई बड़े सुधार और बदलाव किए गए हैं, ताकि किसान समय पर लाभ ले सकें।

फसल बीमा में किए गए मुख्य सुधार

  1. तेज़ क्लेम सेटलमेंट
    • अगर किसान को बीमा क्लेम 21 दिन के अंदर नहीं मिलता है, तो कंपनी को 12% ब्याज देना होगा।
  2. राज्य सरकार का हिस्सा न होने पर भी केंद्र मदद करेगा
    • पहले अगर राज्य सरकार अपना हिस्सा नहीं देती थी तो किसानों को दिक्कत होती थी। अब केंद्र सरकार अपना हिस्सा अलग से देगी।
  3. डिजिटल प्लेटफॉर्म से पारदर्शी प्रक्रिया
    • बीमा से जुड़ी पूरी प्रक्रिया अब डिजिटल प्लेटफॉर्म से होगी, जिससे समय बचेगा और पारदर्शिता बनी रहेगी।

बीमा की नई समयसीमा

  • गैर-ऋणी किसान (Loan न लेने वाले): बीमा की अंतिम तारीख 14 अगस्त तक बढ़ा दी गई।
  • ऋणी किसान (Loan लेने वाले): इनके लिए 30 अगस्त तक मोहलत दी गई।

राज्यवार मुआवजा योजनाएं

कई राज्य सरकारों ने भी किसानों के लिए अपनी योजनाएं शुरू की हैं ताकि फसल खराब होने पर उन्हें तुरंत मदद मिल सके।

हरियाणा सरकार की योजना

  • 22,617 किसानों को कुल 52 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया।
  • किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल के जरिए आवेदन कर सकते हैं।
  • आवेदन की अंतिम तारीख 10 सितंबर रखी गई है।

बिहार सरकार की योजना – कृषि इनपुट अनुदान योजना 2025

  • सिंचित (सिंचाई वाली) भूमि पर 18,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता।
  • असिंचित (बिना सिंचाई वाली) भूमि पर 8,500 रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता।

किसानों के सामने चुनौतियां

हालांकि योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन किसानों को अभी भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है:

  • गाँवों में इंटरनेट और डिजिटल सुविधा की कमी।
  • क्लेम प्रक्रिया के लिए सिर्फ 72 घंटे की समयसीमा।
  • तकनीकी दिक्कतों के कारण आवेदन रिजेक्ट हो जाते हैं।

सरकार के सुझाव

केंद्र सरकार ने किसानों की मदद के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं:

  • गाँवों में CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) का ज्यादा उपयोग हो।
  • किसानों के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
  • किसानों को सहायता देने के लिए मल्टी-लिंगुअल कस्टमर केयर सेवा शुरू की जाए।

भारी बारिश से फसल खराब? फसल बीमा क्लेम के दौरान इन गलतियों से रहें सतर्क

उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान हाल के दिनों में मौसम की मार से परेशान हैं। तेज आंधी, अचानक हुई बारिश और बाढ़ की वजह से गेहूं, गन्ना, धान, मक्का और सब्ज़ियों की फसल को काफी नुकसान हुआ है। उदाहरण के तौर पर, बिहार के मुंगेर ज़िले में बाढ़ से करीब 8,768 एकड़ जमीन पर खड़ी फसल पूरी तरह नष्ट हो गई।

ऐसे हालात में किसानों को सबसे ज्यादा सहारा मिलता है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) से। यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं—जैसे भारी बारिश, बाढ़, जलभराव या ओलावृष्टि से फसल खराब होने पर मुआवजा देती है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति स्थिर बनी रहे।


भारी बारिश से फसल नुकसान: मौजूदा हालात

भारत में पिछले कुछ सालों से असामान्य बारिश और बाढ़ ने कई राज्यों की खेती को नुकसान पहुंचाया है।

  • उत्तर प्रदेश: आंधी और बारिश से गेहूं की कटाई अधूरी रह गई और खेतों में फसल बर्बाद हो गई।
  • बिहार: बाढ़ ने धान, मक्का और सब्ज़ियों की खेती को तहस-नहस कर दिया।

मॉनसून के दौरान बादल फटना, जलभराव और बाढ़ की घटनाएँ अब आम हो चुकी हैं। ऐसे में किसानों के लिए फसल बीमा ही एक बड़ा सहारा बनता है।


भारी बारिश से फसल खराब? फसल बीमा क्लेम के दौरान इन तीन गलतियों से रहें सतर्क!

उत्तर प्रदेश और बिहार में फसल बीमा योजनाएँ

1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

  • खरीफ फसल पर किसान को सिर्फ 2% प्रीमियम देना होता है।
  • रबी फसल पर 1.5% प्रीमियम
  • बागवानी और वाणिज्यिक फसल पर 5% प्रीमियम
    बाकी प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकार मिलकर देती हैं।
    👉 इसका मतलब है कि किसान बहुत कम प्रीमियम देकर बड़ी सुरक्षा पा सकते हैं।

2. राज्य सरकार की योजना (बिहार)

  • बिहार सरकार ने राज्य फसल सहायता योजना शुरू की है।
  • इसमें आपदा से प्रभावित फसलों का मुआवजा दिया जाता है।
  • उत्तर प्रदेश में अलग से कोई राज्य स्तरीय फसल बीमा योजना नहीं है, लेकिन किसान PMFBY का लाभ ले सकते हैं।
  • इसके अलावा, दोनों राज्यों की सरकारें समय-समय पर विशेष राहत पैकेज भी देती हैं।

फसल बीमा देने वाली प्रमुख कंपनियाँ

फसल बीमा कई सार्वजनिक और निजी कंपनियों के जरिए उपलब्ध है। इनमें शामिल हैं:

  • Agriculture Insurance Company of India
  • IFFCO-Tokio General Insurance
  • SBI General Insurance
  • HDFC ERGO General Insurance
  • ICICI Lombard

ये सभी कंपनियाँ राज्य और केंद्र सरकार के साथ मिलकर किसानों को बीमा का फायदा पहुंचाती हैं।


👉 किसान भाइयों, प्राकृतिक आपदा के समय फसल बीमा ही आपकी सबसे बड़ी ढाल है। लेकिन क्लेम करते समय कुछ आम गलतियाँ न करें, वरना मुआवजे में दिक्कत हो सकती है।

फसल बीमा क्लेम करते समय इन 3 गलतियों से बचें

किसानों के लिए फसल बीमा योजना (PMFBY) एक बड़ी राहत है, क्योंकि प्राकृतिक आपदा से हुई फसल क्षति का मुआवजा इसी से मिलता है। लेकिन अक्सर छोटी-छोटी गलतियों की वजह से किसान अपना बीमा क्लेम खो देते हैं। आइए जानते हैं वे 3 आम गलतियाँ और उनसे बचने के उपाय।


1. सूचना देने में देरी करना

अगर आपकी फसल को बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि या किसी भी प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ है, तो 72 घंटे (3 दिन) के भीतर बीमा कंपनी को इसकी सूचना देना जरूरी है।

  • उदाहरण: किसान राम ने बाढ़ के बाद समय पर सूचना नहीं दी, जिसके कारण बीमा कंपनी ने उनका क्लेम खारिज कर दिया।
  • क्या करें: जैसे ही नुकसान हो, तुरंत नजदीकी कृषि कार्यालय, बीमा कंपनी, बैंक शाखा या PMFBY हेल्पलाइन (14447) पर सूचना दें।

2. गलत या अधूरी जानकारी देना

क्लेम फॉर्म भरते समय कई किसान फसल का नाम, सीजन (खरीफ/रबी), बैंक खाता नंबर, IFSC कोड, मोबाइल नंबर आदि गलत भर देते हैं। इससे बीमा क्लेम अटक सकता है।

  • उदाहरण: किसान सीता ने क्लेम फॉर्म में गलत बैंक अकाउंट नंबर डाल दिया, जिसकी वजह से उनकी राशि नहीं मिल पाई।
  • क्या करें: फॉर्म भरने के बाद सभी जानकारी एक बार फिर से ध्यान से चेक करें। सही बैंक खाता, शाखा कोड और भूमि संबंधी जानकारी जरूर डालें।

3. जरूरी दस्तावेज जमा न करना

क्लेम करते समय यदि जरूरी कागजात पूरे नहीं लगाए गए तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

  • जरूरी दस्तावेज:
    • फसल क्षति की फोटो
    • आधार कार्ड
    • खतौनी (भूमि का रिकॉर्ड)
    • बैंक पासबुक/कॉपी
  • उदाहरण: किसान मोहन ने क्लेम में बैंक पासबुक की कॉपी नहीं लगाई, जिससे उनका दावा अमान्य हो गया।

भारी बारिश से फसल खराब? फसल बीमा क्लेम के दौरान इन तीन गलतियों से रहें सतर्क!

दावा प्रक्रिया और समय सीमा

समय पर सूचना

प्राकृतिक आपदा से नुकसान होते ही 72 घंटे में जानकारी देना अनिवार्य है। तभी सर्वे टीम मौके पर आकर नुकसान का आकलन कर सकती है।

कटाई के बाद भी क्लेम

अगर किसान ने कटाई के बाद फसल को खेत में सुखाने के लिए छोड़ा है और उस दौरान नुकसान हो गया, तो वह भी क्लेम कर सकता है। शर्त यह है कि सूचना 72 घंटे के भीतर दी गई हो। ऐसे मामलों में किसान को कटाई के 14 दिनों तक क्लेम करने की अनुमति है।

कहाँ और कैसे करें आवेदन

  • नजदीकी कृषि कार्यालय, बैंक शाखा या CSC केंद्र पर जाकर
  • सीधा बीमा कंपनी से संपर्क करके
  • पीएमएफबीवाई की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के जरिए
  • हेल्पलाइन नंबर 14447 पर कॉल करके

मुआवजा कैसे मिलता है?

बीमा कंपनी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नुकसान का आकलन करती है। अगर नुकसान 33% से अधिक है, तो तय मानकों के हिसाब से मुआवजा किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिया जाता है।
इसमें केंद्र और राज्य सरकार भी प्रीमियम का हिस्सा देती हैं, जिससे किसानों को कम खर्च में ज्यादा सुरक्षा मिलती है।

निष्कर्ष

फसल बीमा किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है, लेकिन इसका पूरा लाभ उठाने के लिए सही जानकारी और सतर्कता की आवश्यकता है। तीन मुख्य गलतियों – समय पर रिपोर्ट न करना, गलत जानकारी देना, और अधूरे दस्तावेज जमा करना से बचकर किसान अपना उचित मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।

डीजी क्लेम प्लेटफॉर्म के आने से प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी हुई है, लेकिन किसानों को अपनी जिम्मेदारी भी समझनी होगी। हाल की बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान के लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही मुआवजा योजनाओं का भी पूरा लाभ उठाना चाहिए

भविष्य में फसल बीमा व्यवस्था को और भी किसान हितैषी बनाने की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में उपलब्ध सुविधाओं का सदुपयोग करके किसान अपनी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। समय पर जानकारी, सही दस्तावेज, और नियमों का पालन – यही सफल फसल बीमा क्लेम की चाबी है।

याद रखें, प्राकृतिक आपदा अप्रत्याशित है, लेकिन तैयारी हमारे हाथ में है। अपनी फसल का बीमा कराएं, सभी दस्तावेज तैयार रखें, और नुकसान होने पर तुरंत सही कार्रवाई करें। यही एक सफल और समृद्ध किसान बनने का रास्ता है।

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